Train Accident in Odisha: बेटे की मौत पर पिता को नहीं हो रहा था विश्वास, घंटों के मशक्कत के बाद मुर्दा घर से जिंदा खोज निकाला

Train Accident in Odisha: बालासोर ट्रेन हादसे में एक ऐसा मामला सामने आया है जो एक पिता के लिए किसी भी चमत्कार से कम नहीं है। ट्रेन हादसे की खबर सुनकर एक पिता ने 250 किलोमीटर की दूरी तय करके रातों-रात बालासोर के लिए निकल गए और वहां के सभी अस्पताल को छान मारा। और लास्ट में उनका बेटा मुर्दा घर में शवो के बीच जिंदा मिला। शवों के बीच अपने बेटे की सांसो को चलती हुई महसूस करके पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

उड़ीसा के बालासोर जिले में 2 जून को भीषण ट्रेन हादसा हो गया जिनमें 275 लोगों की जान चली गई वही एक हजार से भी ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल है। क्राइम ब्रांच इन्वेस्टिगेशन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। इस दर्दनाक हादसे में कुछ लोग ऐसे हैं जिसे भगवान ने तोहफा के रूप में दूसरे जिंदगी दी है और अपनों से भी मिलाया। ट्रेन हादसे जोड़ी कई दर्दनाक कहानियां निकल कर सामने आ रही है एक ऐसी ही कहानी 24 साल के विश्वजीत मालिक की भी है जिन्हें मृत घोषित करके मुर्दाघर में रखा गया था लेकिन मुर्दाघर तक जाने के बाद भी उनके पिता की जीत के कारण विश्वजीत बच गया। उनके पिता को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा विश्वजीत मालिक अब इस दुनिया में नहीं है ऐसे में वहां जॉब मुर्दाघर पहुंचे तो बहुत सारे शवों के बीच विश्वजीत के हिलते हाथ को देखकर वह समझ गया कि उनका बेटा जिंदा है। एक बार फिर सर साबित हो गया कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।

दर्द भरी कहानी सामने आई

कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार होने के लिए शालीमार रेलवे स्टेशन पर अपने बेटे विश्वजीत मलिक को छोड़ने के कुछ घंटे बाद ही हेलाराम मालिक को उड़ीसा के ट्रेन दुर्घटना के बारे में खबर मिली। खबर मिलते ही हेलाराम ने अपने 24 वर्षीय बेटे को कॉल किया इसके बाद विश्वजीत ने कॉल उठाया और धीमी आवाज में जवाब दिया वह जिंदा है लेकिन काफी ज्यादा दर्द में है।

हेलाराम को अंदाजा हो गया कि उनका बेटा विश्वजीत गंभीर रूप से घायल है इसके बाद उन्होंने अपने बहनोई को कॉल किया और अपने साथ चलने को कहा उसी रात बालासोर के लिए एंबुलेंस में रवाना हो गए उन्होंने रात को करीब ढाई सौ किलोमीटर से अधिक यात्रा तय की लेकिन हेलाराम को किसी भी अस्पताल में अपने बेटे विश्वजीत नहीं मिला।

पिता को रहा भरोसा हार नहीं मानी

हेलाराम ने बताया कि हमने फिर भी हार नहीं मानी और हमें पूरा भरोसा था कि हमारा बेटा जिंदा है हम पूरी रात अपने बेटे की तलाश करते रहे एक व्यक्ति ने कहा कि अगर हमें अस्पताल में कोई नहीं मिलता है तो हमें बहनागा हाई स्कूल जाना पड़ेगा जहां सभी के शव रखे गए थे। पहले हमें शवों को देखने की अनुमति भी नहीं थी। इसके थोड़ी देर बाद ही जब किसी ने पीड़ित का दाया हाथ हिलते हुए देखा तो हमने देखा कि यह हाथ हमारा बेटा विश्वजीत का था जो गंभीर रूप से घायल था।

पिता अपने बेटे को इलाज के लिए कोलकाता ले गया

इसके बाद हमने अपने बेटे को लेकर तुरंत एंबुलेंस में बालासोर अस्पताल ले गए जहां पर विश्वजीत को कुछ इंजेक्शन लगाया गया उसकी हालत को देखते हुए हमने उसे कटक मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया इसके बाद उनके परिवार वाले विश्वजीत को आगे के इलाज के लिए कोलकाता के अस्पताल ले गए जहां पर उसकी हालत स्थिर है। सोमवार को उसके पैर की एक और सर्जरी हुई है उसके दाया हाथ कहां पड़ था जिसमें कई फ्रैक्चर बताया गया है।

इतनी बड़ी भूल कैसे हुई?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत कम सांस चलने के कारण से विश्वजीत मलिक को मृत घोषित कर दिया गया था। ओडिशा प्रशासन को शक है कि नॉन मेडिकल व्यक्ति ने उसकी जांच की थी और उसे मरा समझकर मुर्दाघर में रख दिया। यह खबर सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल है। एक पिता के भरोसे के कारण उनका बेटा जिंदा मिल गया। शवों के बीच अपने बेटे की चलती हुई सांसों को देखकर पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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